एक सिग्नेचर और लागू हो जाएगा नया सिस्टम, छत्तीसगढ़ में 79 फीसदी हो जाएगा आरक्षण?

रायपुर: देश की सियासत में जातीय जनगणना एक बड़ा मुद्दा बन रहा है। बिहार में तो जातीय जनगणना का सिलसिला भी शुरू हो गया है मगर छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जो अलग-अलग तरीकों से जातीय आंकड़े जुटाने में लगा हुआ है। भले ही यहां जातीय जनगणना न हो रही हो, मगर जातीय आंकड़े सरकार की मुट्ठी में आते जा रहे हैं। राज्य में कांग्रेस को सत्ता में आए चार साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया है। उसने सत्ता में आने के एक साल बाद ही पिछड़े वर्ग और गरीबों के आंकड़े जुटाने के लिए सितंबर 2019 में क्वांटिफायबल डाटा आयोग का गठन कर दिया था और उस पर जिम्मेदारी पिछड़े वर्ग की जातियों के साथ उनकी जनसंख्या का आंकड़ा तो जुटाना था ही, साथ में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों के भी आंकड़े इकटठे करना था। यह बात अलग है कि इस आयोग का लगातार कार्यकाल बढ़ता गया।

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