नेहरू-पटेल ने मुस्लिमों को आरक्षण देने का किया था विरोध

नई दिल्ली: 13 दिसंबर, 1946 की बात है, जब हमारे देश का संविधान बनाने के लिए बनी संविधान सभा में बहस चल रही थी। उसी दौरान जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा के बारे में बात की गई थी। सभा में इस प्रस्ताव को लेकर मुस्लिम लीग ने आपत्ति जताई। उसका कहना था कि भारतीय संविधान में सरकारी नौकरियों में मुसलमानों के लिए आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया जाए। हालांकि, नेहरू ने मुस्लिमों के साथ बाकी अल्पसंख्यक समूहों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की मांग का विरोध किया। नेहरू ने इस बारे में मुस्लिम लीग के चेयरमैन मुहम्मद अली जिन्ना को पत्र लिखकर बताया भी था। सलाहकार समिति के अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल भी अल्पसंख्यकों को किसी भी तरह का आरक्षण दिए जाने के खिलाफ थे। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि संविधान में केंद्र और राज्य सरकारों को यह देखना चाहिए कि अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल रहा है या नहीं। समिति की मांगें संविधान सभा ने मांग लीं, मगर मुस्लिम लीग अब भी राजी नहीं था। वह अब भी पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मांग कर रहा था। यही बात भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की वजह बनी। संविधान सभा में उठी मुस्लिमों के आरक्षण की यह बात मौजूदा चुनावी माहौल फिर से गरमा गई है।

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