9 राज्यों ने CBI की एंट्री बैन की तो ED ने संभाला मोर्चा
भाजपा के शासनकाल में ज्यादातर जांच पड़ताल की कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ही कर रहा है, जबकि इससे पहले होने वाले बड़े-बड़े घोटालों की छानबीन या छापेमारी में हर जगह CBI ही नजर आती थी। तो ऐसा क्या हुआ कि मनमोहन के शासनकाल तक एक्टिव रहने वाली CBI पिछले 4 वर्षों में बैकग्राउंड में चली गई है और उसकी जगह ED ने ले ली।
UPA शासनकाल तक CBI ही देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी मानी जाती थी। केंद्र में BJP सरकार बनने के बाद जब इसी CBI ने गैर भाजपा शासित राज्यों में कार्रवाई करनी चाही तो ये राज्य लामबंद हो गए। देखते ही देखते राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, मेघालय और मिजोरम की गैर भाजपा सरकारों ने एक के बाद एक अपने प्रदेश में CBI की एंट्री पर रोक लगा दी, मतलब बिना राज्य सरकार की इजाजत के CBI राज्य में जांच पड़ताल नहीं कर सकती। सबसे ताजा मेघालय राज्य ने CBI की एंट्री पर बैन लगाया है।
9 राज्यों में CBI की एंट्री बैन होने से मजबूरन केंद्र सरकार को आर्थिक अपराध की छानबीन से जुड़ी दूसरी बड़ी जांच एजेंसी यानी ED को सक्रिय करना पड़ा। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है।
पिछले तीन से चार साल में ED का दायरा इतना अधिक बढ़ गया है कि हर बड़े घोटाले का खुलासा अब ED ही कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी PMLA के तहत ED की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती से जुड़ी शक्तियों को कायम रखा है। कोर्ट ने साफ कहा है कि गिरफ्तारी के लिए ED को आधार बताना जरूरी नहीं है।