कभी राजा-रानी के इशारे पर होता था फैसला

ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री (Britain PM Election) की रेस ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और लिज ट्रस के बीच है। शुरुआत में बढ़त हासिल करने वाले सुनक अब पिछड़ते नजर आ रहे हैं। लेकिन आखिर में टोरी सदस्य क्या फैसला करते हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन एक समय था जब ब्रिटेन में प्रधानमंत्री का चुनाव इतना लंबा नहीं होता था। सत्ता के शीर्ष पर वही बैठता था जिसे राजा या रानी चाहते थे। ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री को चुनने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रही है। ऐसे में यह देखना भी अहम है कि कैसे पिछले सौ वर्षों में इस प्रकिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

20वीं शताब्दी की शुरुआत में यह निर्णय देश के राजा अथवा रानी को लेना होता था। इस वजह से 1923 में लॉर्ड कर्जन, जिन्हें तत्कालीन सरकार का सबसे योग्य सदस्य माना जाता था- प्रधानमंत्री बनने की रेस से बाहर हो गए थे। किंग जॉर्ज V ने स्टेनली बाल्डविन, जिन्हें उनके विरोध ‘सबसे तुच्छ व्यक्ति’ कहकर पुकारते थे, को बकिंघम पैलेस आने का न्यौता दिया था। 1963 में क्वीन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री हेरोल्ड मैकमिलन की सलाह को स्वीकार करते हुए आर ए बटलर को मिल रहे व्यापक समर्थन को नजरअंदाज कर दिया और सर एलेक डगलस-होम को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।

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