श्रीलंका को जलता छोड़ मालदीव भागे राष्ट्रपति, देश में इमरजेंसी

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे मालदीव भाग चुके हैं। हजारों प्रदर्शनकारी PM रानिल विक्रमसिंघे के घर पर कब्जा कर चुके हैं। अब संसद भवन पर भी जनता के कब्जे की आशंका है। ऐसे में श्रीलंका में एक बार फिर इमरजेंसी लगा दी गई है। इस बीच कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सेना और पुलिस को प्रदर्शनकारियों से निपटने और देश में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए खुली छूट दे दी है। यानी अब देश की फौज और पुलिस के अधिकार बढ़ गए हैं और जनता के घट गए हैं।

श्रीलंकाई संविधान के आर्टिकल 155 के तहत इमरजेंसी की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है। चूंकि श्रीलंका में राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग चुके हैं, इसलिए प्रधानमंत्री को एक्टिंग राष्ट्रपति बना दिया गया है। उन्होंने ही इस बार इमरजेंसी की घोषणा की है। 1947 के सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश (PSO) में इस तरह इमरजेंसी लागू करने को लेकर कानूनी प्रक्रिया है।

  • इमरजेंसी के दौरान सारी शक्तियां राष्ट्रपति के पास आ जाती हैं। राष्ट्रपति चाहे तो कोई मंत्री नियुक्त कर सकता है, जो उनका कामकाज देखे।
  • राष्ट्रपति पूरे देश में जरूरी सुविधाएं और सेवाएं चलती रहें, इसके लिए कमिश्नर नियुक्त कर सकता है। कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर और ये चेन इसी तरह नीचे तक जाती है।
  • इमरजेंसी के दौरान पुलिस या फौज के अफसरों को ये अधिकार होता है कि वो बिना किसी वारंट के किसी के भी घर की तलाशी ले सकते हैं। इसके अलावा 14 दिनों तक बिना कोर्ट को बताए किसी भी शख्स को हिरासत में रख सकते हैं।

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