बिना बिजली फव्वारे चलने के सवाल पर ओवैसी का जवाब

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष ने इसे वजूखाने का फव्वारा बताया था। इसे लेकर संघ के सदस्यों ने सवाल किया था कि बिना बिजली के फव्वारा कैसे चलता था। अब ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसका जवाब दिया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि फव्वारा कम से कम 7वीं शताब्दी से इस्लामिक आर्किटेक्चर का हिस्सा रहा है और तब उन्हें ग्रेविटी से चलाया जाता था।

न्यूयॉर्क टाइम्स के एक आर्टिकल का लिंक शेयर करते हुए ओवैसी ने ट्वीट किया। इसमें बिजली के बिना चलने वाले फव्वारों का जिक्र किया गया है। ओवैसी ने कहा, ‘संघी जीनियस पूछ रहे हैं कि बिजली के बिना फव्वारा कैसे चलता है? इसे ग्रेविटी कहा जाता है। दुनिया का सबसे पुराना फव्वारा 2700 साल पहले बनाया गया। प्राचीन रोमन और यूनानियों के पास पहली और छठी शताब्दी के फव्वारे थे।’

ओवैसी ने लिखा, ‘शाहजहां के शालीमार गार्डन में 410 फव्वारे हैं। संघियों को विकिपीडिया का लिंक दे रहा हूं, क्योंकि इससे ज्यादा वे नहीं समझ सकते हैं।

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