रूस के डॉलर रिजर्व पर लगे बैन ने उठाया बड़ा सवाल
अमेरिका समेत यूरोप की तरफ से बैंक ऑफ रशिया के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व को फ्रीज कर दिया गया है। यह फैसला ग्लोबल इकनॉमिक सिस्टम पर एक तगड़ा वार माना जा रहा है। दुनिया भर में ट्रेडिंग के लिए डॉलर को एक अहम माध्यम की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हर देश की करंसी अलग-अलग होती है, लेकिन दुनिया में ट्रेड करने के लिए किसी एक करंसी की जरूरत थी, जो डॉलर से पूरी होती है। ऐसे में हर देश के पास डॉलर का एक फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व रहता है, जिसका इस्तेमाल कर के वह देश की जरूरत की चीजों को आयात करता है। वहीं इससे सबसे अधिक फायदा होता है अमेरिका को, क्योंकि वह अपने डॉलर से किसी भी देश से अपनी जरूरत की कोई भी चीज खरीद सकता है और इसके लिए उसे सिर्फ कुछ अतिरिक्त डॉलर छापने होंगे।
रूस के फॉरेक्स का सीज़ होना क्यों दे रहा है टेंशन?
फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व को फ्रीज करना कोई नई बात नहीं है। अफगानिस्तान, क्यूबा, वेनेजुएला और ईरान जैसे देशों के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पर पहले भी बैन लगाया जा चुका है। हालांकि, रूस का मामला कुछ अलग है। रूस दुनिया के लिए एक गैस स्टेशन की तरह है और उसके फॉरेन एक्सचेंज को सीज करने से दुनिया के तमाम देशों को ये चिंता हो गई है कि कहीं अगला नंबर उसका ना लग जाए। वहीं अगर आप डॉलर से बाहर निकलना चाहें तो यह इतना आसान नहीं। रूस भले ही अपनी निर्भरता डॉलर से घटा रहा है, लेकिन छोटे देशों के लिए ऐसा कर पाना भी मुमकिन नहीं है। वहीं ग्लोबल ट्रेड के लिए कोई न कोई माध्यम तो चाहिए ही।X