दुनिया में सिर्फ 50 से कम लोगों में है ‘गोल्डन ब्लड’
ब्लड ग्रुप (Blood Group) के मुख्य 4 प्रकार होते हैं जिसमें ए, बी, एबी और ओ है। आपका ब्लड ग्रुप आपके माता-पिता से विरासत में मिले जीन से निर्धारित होता है। प्रत्येक समूह या तो RhD पॉजिटिव या RhD निगेटिव हो सकता है, जिसका अर्थ है कि कुल मिलाकर आठ ब्लड ग्रुप हैं। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि इनके अलावा एक खास तरह का ब्लड ग्रुप भी होता है जिसका नाम है ‘गोल्डन ब्लड’ (Golden Blood)। यह खास इसलिए हैं क्योंकि यह दुनिया में सिर्फ पचास से कम लोगों के शरीर में है।
ब्लड प्लाज्मा नामक तरल में रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स से बना होता है। आपके ब्लड ग्रुप की पहचान रक्त में एंटीबॉडी और एंटीजन द्वारा की जाती है। एंटीबॉडी प्लाज्मा में पाए जाने वाले प्रोटीन होते हैं। वे आपके शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा का हिस्सा हैं। वे रोगाणुओं जैसे विदेशी पदार्थों को पहचानते हैं, और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को सचेत करते हैं, जो उन्हें नष्ट कर देता है। एंटीजन प्रोटीन अणु होते हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं। गोल्डन ब्लड ग्रुप या आरएच नल ब्लड ग्रुप (Rh null blood group) में रेड ब्लड सेल (आरबीसी) पर कोई आरएच एंटीजन (प्रोटीन) नहीं होता है।
गोल्डन ब्लड को पहली बार आदिवासी आस्ट्रेलियाई लोगों में देखा गया था। गोल्डन ब्लड ग्रुप के साथ चिंता की बात यह है कि आरएच नल को दान करना और प्राप्त करना मुश्किल है। किसी आरएच नल वाले व्यक्ति को खून की जरूरत होती है, तो उसे दुनियाभर में नियमित आरएच नल दाताओं के एक छोटे नेटवर्क के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ता है। चलिए जानते हैं गोल्डन ब्लड ग्रुप के बारे में खास बातें क्या हैं।