बिना चोट के ही बार-बार पड़ जाते हैं नील के निशान
क्या आपके शरीर पर भी नील के निशान हैं। अगर हां, तो जरूरी नहीं कि यह किसी चोट के कारण हो, बिना किसी चोट के भी शरीर पर नील पड़ जाता है। कई बार तो ऐसा होता है कि अभी आपने देखा तो पैरों या शरीर में कोई निशान नहीं दिखता, लेकिन आज देखा तो नीला सा निशान दिखाई दे रहा है, जो बहुत ही भद्दा दिखता है।
वैसे युवा लोगों के मुकाबले बुजुर्ग लोगों को नील पड़ने का खतरा ज्यादा होता है। अगर बार-बार ऐसा हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। इसके पीछे के कारणों को जानना बेहद जरूरी है, जिनकी वजह से आपके शरीर पर नील के निशान पड़ रहे हैं। तो आइए जानते हैं शरीर पर नील के निशान पड़ने के संभावित कारण क्या हैं।
नील आमतौर पर टिशू की चोट का परिणाम होते हैं, जिससे त्वचा का रंग खराब हो जाता है। यह तब बनता है जब चोट के बाद त्वचा के नीचे ब्लीडिंग होती है और धमनियों व ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचता है। चोट का रंग काला और नीला से लेकर भूरा या बैंगनी कुछ भी हो सकता है। कई बार नील पड़ने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जिन लोगों की त्वचा नाजुक होती है, उन्हें इसे दबाने पर हल्का दर्द महसूस हो सकता है।
चोट लगने के सामान्य कारणों में से एक है ब्लीडिंग डिसऑर्डर । यह एक ऐसी स्थिति है, जो तब बनती है जब किसी व्यक्ति का खून बिल्कुल नहीं जमता या बहुत धीरे-धीरे जमता है। ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे हीमोफोलिया रोग चोट लगने की मुख्य वजहों में से एक है। यह एक ऐसा अनुवांशिक रोग है, जिसमें जब शरीर से खून निकलता है , तो वह जल्दी जमता नहीं है।