चेचन्या और कश्मीर में इस्लामी आतंकवाद को हवा दे सकता है तालिबान

मॉस्को
अफगानिस्तान में तालिबान शासन का जोरदार समर्थन करने वाला रूस अब यूटर्न लेता दिखाई दे रहा है। भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने माना है कि अफगानिस्‍तान पर भारत और रूस की चिंता एक जैसी है। उन्होंने अफगानिस्तान में आतंकवाद के फिर से जड़ें जमाने पर भी चिंता जताई है। रूस उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसने 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अपने समर्थन का खुला इजहार किया था। अफगानिस्तान में रूसी राजदूत लगभग रोजाना तालिबान के वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं। ऐसे में काबुल से हजारों किलोमीटर दूर स्थित रूस को तालिबान की इस्लामिक अमीरात सरकार से डर लगने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

रूस को तालिबान के उदय से क्या डर?
रूस को अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने से इस्लामिक आतंकवाद के फिर से पांव जमाने का डर लगने लगा है। रूस यह अच्छी तरह से जानता है कि अगर अफगानिस्तान में आतंकवाद ने फिर से पांव जमाया तो उसकी चपेट में पूरी दुनिया आएगी। रूस भी इस इस्लामिक आतंकवाद से अछूता नहीं है। सुपरपावर होने के बावजूद कई दशकों तक रूस ने आतंकवाद का दंश झेला है। इस दौरान न केवल रूसी सेना के सैकड़ों जवान आतंकवाद की बलि चढ़े बल्कि आम लोगों को भी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा।

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