खरीफ सीजन में रफ्तार पकड़ी बुवाई ने, कृषि विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल सकती है नई ताकत

व्यापार : इस सीजन खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक होने की उम्मीद है। अनुसंधान फर्म आईसीआरए की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार अच्छे मानसून की बदौलत खरीफ की बुवाई 76 प्रतिशत पूरी हो चुकी है। जुलाई 2025 तक इसमें चार प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई।

अच्छे मानसून से रबी फसलों की भी बुवाई में वृद्धि की संभावना

जून और जुलाई के बरसात के महीनों में बोई जाने वाली खरीफ फसलें मुख्य रूप से मूंग, चावल और मक्का हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अगस्त और सितंबर के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का आईएमडी का पूर्वानुमान खरीफ फसलों की निरंतर बुवाई के लिए अच्छा संकेत है। साथ ही जलाशयों के दोबारा भरने से अक्टूबर से मार्च तक रबी सीजन के दौरान बुवाई को बढ़ावा मिलेगा।

आईसीआरए के अनुसार जुलाई 2025 के दौरान भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होगी। पूरे दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान वार्षा की मात्रा दीर्घाधि औसत (एलपीए) के 106 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है।

जीवीए में 4.5 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद

फर्म को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के दौरान कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन की सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) वृद्धि लगभग 4.5 प्रतिशत होगी। इसके अलावा, वास्तविक ग्रामीण मजदूरी में वृद्धि जनवरी 2025 के शून्य स्तर से बढ़कर मई 2025 में चार प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे ग्रामीण उपभोग मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

GVA यानी सकल मूल्य वर्धन। कृषि जीवीए का मतलब है कि कृषि क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं (जैसे अनाज, फल, सब्जियां) और सेवाओं (जैसे पशुपालन, मत्स्य पालन) के कुल मूल्य को दर्शाता है। इसमें से बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि जैसे उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं और सेवाओं की लागत को घटा दिया जाता है।

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