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रतन टाटा ने नमक से लेकर हवाई जहाज तक टाटा ग्रुप को कैसे बनाया ग्लोबल ब्रांड

‘भारत का पहला प्राइवेट स्‍टील प्‍लांट किसने लगाया, पहला फाइव स्‍टार होटल किसने बनाया, पहला पावर प्‍लांट, पहली सॉफ्टवेयर कंपनी, पहली कार मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की नींव किसने रखी… वो रोल मॉडल हैं। संपत्ति क्‍या है? वे समाज की भलाई के लिए पैसा कमा रहे हैं। इससे अच्‍छा काम भला एक इंसान और क्‍या कर सकता है। इसीलिए वे जिंदगी में मेरे रोल मॉडल हैं।’

रतन टाटा के बारे में ये शब्द थे भारतीय शेयर मार्केट के ‘बिग बुल’ कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला के। इसी से रतन टाटा की शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि रतन टाटा का कारोबारी सफर कैसे शुरू हुआ और उन्होंने टाटा ग्रुप को बुलंदियों के मुकाम पर कैसे पहुंचाया?

रतन टाटा का कारोबारी सफर

रतन टाटा पढ़ाई खत्म करने के बाद सीधे टाटा ग्रुप से नहीं जुड़े। उनकी पहली नौकरी अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी- इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्पोरेशन (IBM) में थी। इसकी भनक उनके परिवार को भी नहीं थी। जब टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा (JRD Tata) को रतन टाटा की नौकरी का पता चला, तो वह काफी नाराज हुए।

उन्होंने रतन टाटा को फोन किया और अपना बायोडाटा शेयर करने को कहा। उस वक्त रतन टाटा के पास अपना बायोडाटा भी नहीं था। उन्होंने आईबीएम में ही टाइपराइटर पर अपना बायोडाटा बनाया और उसे जेआरडी टाटा के पास भेजा। इसके बाद 1962 में टाटा ग्रुप से आधिकारिक तौर पर जुड़े। वह भले ही टाटा परिवार के सदस्य थे, लेकिन उन्होंने पहले निचले स्तर पर काम करके तजुर्बा लिया।

रतन टाटा साल 1991 में टाटा संस (Tata Sons) और टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने। उनकी अगुआई में टाटा ग्रुप ने नई बुलंदियों को छुआ। रतन टाटा ने 21 साल तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया। उन्होंने 2012 में चेयरमैन का पद छोड़ दिया, लेकिन टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा केमिकल्स के चेयरमैन एमेरिटस बने रहे। उनके मार्गदर्शन में इन कंपनियों ने बुलंदी के नए मुकाम को छुआ।

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