कैसे सीधे-सादे शख्स ने ‘जीरो’ से खड़ा कर दिया 1,700 ब्रांच वाला विशाल बैंक?
नई दिल्ली: बंधन बैंक के संस्थापक चंद्र शेखर घोष ने हाल ही में बैंक के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया है। बोर्ड ने उन्हें पद पर बने रहने की मंजूरी दे दी थी। बावजूद इसके उन्होंने यह फैसला लिया। घोष की जिंदगी उन अनगिनत उद्यमियों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल परिस्थितियों में भी बड़ा बिजनेस खड़ा करने के लिए संघर्ष करते हैं। घोष ने 24 साल पहले बंधन की शुरुआत एक NGO के तौर पर की थी। उन्होंने इसे देश के सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस संस्थान के रूप में तब्दील किया। 2015 में घोष के नेतृत्व में यह एक यूनिवर्सल बैंक में बदला। ऐसा करके वह आजादी के बाद बैंक स्थापित करने वाले पहले और एकमात्र बंगाली उद्यमी बन गए।
करीब नौ सालों में बंधन बैंक 1700 से ज्यादा शाखाओं वाला एक विशाल बैंक बन गया है। देश के लगभग हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में इसकी मौजूदगी है। इसका बिजनेस लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये का है। पिछले कुछ सालों में इसने वाणिज्यिक और खुदरा परिसंपत्ति व्यवसायों में विविधता हासिल की है। जबकि अपनी कुल कर्ज परिसंपत्तियों के एक तिहाई से भी कम तक माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो को कम कर दिया है।