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हाल की है बात जब पंकज उधास के नग्मों को सुन ऑडिटोरियम में छा गया था सन्नाटा

‘सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू, दिल के रिश्ते तोड़ गया तू, आंख में आंसू छोड़ गया तू…’, कभी अपने सुपरहिट गाने चिट्ठी आई है… के इन बोलों से लोगों की आंखें नम करने वाले गजल गायिकी के सरताज पंकज उधास ने सोमवार को अपने चाहने वालों को यही पंक्तियां दोहराने पर मजबूर कर दिया। संगीत की दुनिया को अपनी आवाज से ‘धनवान’ बनाने वाले पद्मश्री पंकज उधास सोमवार को दुनिया को अलविदा कह गए और पीछे छोड़ गए अपनी सदाबहार ग़ज़लों की सुरीली विरासत।

अभी पिछले साल की तो बात थी। अपनी आवाज से वक्त को थाम देने वाले पंकज उधास राजधानी के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में जनता की मांग पर गा रहे थे- चिट्ठी आई है… और जैसे-जैसे वे आगे ‘बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद, वतन की मिट्टी आई है’, ‘ऊपर मेरा नाम लिखा है, अंदर ये पैगाम लिखा है’, ‘ओ परदेस को जाने वाले, लौट के फिर ना आने वाले…’ की ओर बढ़े, ऑडिटोरियम में सन्नाटा छा गया। कहीं सिसकियां भी सुनाई देने लगीं। ये जादू था, ग़ज़ल गायिकी को नया मुकाम देने वाले जादुई आवाज के मालिक पंकज उधास का। फिर, ये कोई एक गाने या एक कॉन्सर्ट की बात नहीं थी, उनके हर परफॉर्मेंस के बाद उनकी आवाज का नशा लोगों पर यूं ही देर तक रहता। हर कोई उनके गाने गुनगुनाता हुआ ही बाहर आता लेकिन सोमवार को यह मखमली आवाज़ हमेशा के लिए खामोश हो गई।

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