PK और मांझी के बयान पर क्यों गरम है अटकलों का बाजार
पटना: राजनीत में असंभव कुछ नहीं होता। और नीतीश कुमार तो राजनीति में एक स्पेस रख कर ही अपनी नीतियों को अंजाम देते रहे हैं। इसे केवल आप संयोग नहीं कह सकते जब सामाजिक न्याय के पुरोधा लालू प्रसाद की पार्टी में ये पलटू राम के रूप में जाने जाते थे। लगभग 2013 से एनडीए की राजनीत में बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरी बनने लगी तब भी राजनीतिक गलियारों में इस दूरी की परिणीति आरजेडी के साथ सरकार बनाने की नहीं थी। मगर ऐसा हुआ। फिर 2017 में जब बीच में ही आरजेडी को छोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना ली तब भी यह अनुमान आम तौर पर नहीं लगाया जा रहा था। और अब 2020 में जब बीजेपी को बीच मझधार में छोड़ कर आरजेडी के साथ सरकार बना ली तो बीजेपी वालों को ही विश्वास नहीं हो रहा था।
तो सवाल यह उठता है कि अब जब प्रशांत किशोर यह कह रहे हैं कि जेडीयू शीघ्र बीजेपी से मिल कर सरकार बना लेगी, तो इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने से ज्यादा जरूरी है आज की राजनीति का विश्लेषण।