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क्‍या बायकॉट के कारण हुआ लाल सिंह चड्ढा और रक्षा बंधन का बंटाधार?

आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ और अक्षय कुमार की ‘रक्षा बंधन’, इन दोनों ही फिल्‍मों से बॉलीवुड को खूब उम्‍मीदें थीं। गुरुवार को इनकी रिलीज से पहले यही लग रहा था कि ये फिल्‍में इंडस्‍ट्री के उस काले बादल को खत्‍म कर देंगी, जिसके अंध‍ियारे में एक के बाद एक हिंदी फिल्‍में लगातार फ्लॉप हो रही हैं। बॉक्‍स ऑफिस को उम्‍मीद थी कि सूनी पड़ी टिकट ख‍िड़कियों पर भीड़ लौटेगी। ओपनिंग डे पर जब दोनों ही फिल्‍मों ने उम्‍मीद से कम कमाई की तो अंदाजा लगाया गया कि शायद ऐसा राखी के त्‍योहार की व्‍यस्‍तता के कारण हुआ है। लेकिन चार दिनों के लंबे वीकेंड में चारों ही दिन ये दोनों ही फिल्‍में दर्शकों का दिल नहीं जीत सकीं। दर्शकों की कमी को देखते हुए दोनों ही फिल्‍मों के करीब 2300 शोज दूसरे ही दिन से कैंसल हो गए। स्‍टारडम फेल हो गया। अच्‍छी कहानी का असर भी नहीं हुआ। ऐसे में सवाल उठना लाजिम है कि ऐसा हुआ क्‍यों? क्‍या यह दोनों फिल्‍मों की घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर शुरू हुए बायकॉट के नारों के कारण हुआ? क्‍या #BoycottLaalSinghChaddha और #BoycottRakshaBandhan की ट्रोल आर्मी वाकई असर कर गई?

सिनेमा के बाजार पर पैनी नजर रखने वाले ट्रेड एनालिस्‍ट अतुल मोहन कहते हैं, ‘कोराना महामारी से पहले, 4-5 चाल पहले लोगों तक फिल्‍में इतनी आसानी से नहीं पहुंचती थीं। अब लोगों को जैसे ही पता चलता है कि लाल सिंह चड्ढा हॉलीवुड फिल्‍म Forrest Gump का रीमेक है, लोग इसे झट से अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर लेते हैं। वो भी फ्री में। एक तरह से कह सकते हैं कि लोगों में समय के साथ जागरुकता बहुत अध‍िक बढ़ गई है। हालांकि, वह एक अमेरिकन फिल्‍म है जो 30 साल पहले रिलीज हुई थी। लाल सिंह चड्ढा थोड़ी स्‍लो फिल्‍म है और यह फॉरेस्‍ट गम्‍प से भी लंबी है। पिक्‍चर स्‍लो हो तो उसे दो घंटे देखना भी मुश्‍क‍िल होता है। ऐसे में 2 घंटे 45 मिनट की फिल्‍म को पब्‍ल‍िक कैसे देखेगी? ऐसे में यह कह सकते हैं कि इस फिल्‍म को बनाने का निर्णय ही गलत था।’

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