वसुंधरा राजे के कार्यकाल का यह नियम बना गहलोत सरकार के गले की फांस
ओबीसी आरक्षण विसंगतियों के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने इन दिनों अपनी ही सरकार को घेर रखा है। आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए हरीश चौधरी सहित प्रदेश के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने तो आन्दोलन की चेतावनी भी दे दी। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में भूर्तपूर्व सैनिकों के आरक्षण से जुड़ा नियम अब गहलोत सरकार की गले की फांस बनता जा रहा है।
दरअसल कार्मिक विभाग की ओर से 17 अप्रेल 2018 में बनाए गए इस नियम के बाद ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के सामने नौकरी का भंयकर संकट खड़ा हो गया। इस नियम के बनने के बाद सरकारी नौकरियों के लिए जारी नई विज्ञप्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के पदों की संख्या घटने के साथ शून्य तक पहुंचने लगी। राजस्थान में भले ही ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद भी कई भर्तियों में ओबीसी वर्ग पदों की संख्या शून्य रह जाती है।
17 अप्रेल 2018 को भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण में जुड़ा था यह नियम
भूतपूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी में वर्ष 1988 से आरक्षण प्राप्त है। उन्हें होरिजेंटल आरक्षण के तहत राज्य सेवा में 5 प्रतिशत, अधीनस्थ सेवाओं में 12.5 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी की सेवाओं में 15 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के कार्यकाल में 17 अप्रेल 2018 को कार्मिक विभाग ने भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण नियमों में बदलाव किया। इस बदलाव के तहत होरिजेटल आरक्षण नियम में आरक्षित वर्गों के पदों की तय संख्या की सीमा को खत्म कर दिया।