‘टाइटैनिक’ हादसे में जिंदा बची वो भारतीय बच्ची जो कभी नहीं लौटी देश


सबसे चर्चित फिल्मों में से एक ‘टाइटैनिक’ ने अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर फिल्म से जुड़ी कई बातें सामने आई हैं। ‘टाइटैनिक हिस्टोरिकल सोसाइटी (THS)’ की एक इतिहासकार डॉन लिंच ने टाइटैनिक के डूबने पर उस वक्त की सबसे सनसनीखेज बात बताई थी। उन्होंने वो वक्त याद किया, जब पहली बार उन्होंने 1975 में रूथ बेकर ब्लैंचर्ड के बारे में सुना। रूथ 12 साल की थीं, जब वह 14 अप्रैल, 1912 को टाइटैनिक के डूबने से बच गई थीं। वह 90 साल की थीं जब उनकी मौत हो गई। लिंच का कहना है कि रूथ का इंडिया से एक गहरा रिश्ता था। वह भारत में पैदा हुईं और पली-बढ़ीं। डॉन ने कहा, ‘जहाज को अच्छी तरह से याद रखने वाला आखिरी टाइटैनिक पर बचा इंसान भारत से ही कोई था। रूथ एक अमेरिकी थीं, लेकिन वह भारत में पली-बढ़ी थीं। वह शुरू से अंत तक उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की कहानी बता सकती थीं। वो हमें शिप के डूबने की एक अद्भुत डिटेलिंग दे सकती थीं।’डॉन ने रूथ को याद करते हुए बताया कि कैसे वह अपने साथ के लोगों से बात नहीं कर सकती थीं क्योंकि उनकी अंग्रेजी तेलुगू से बहुत मिलती-जुलती थी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनकी मां ने जहाज में जाने से पहले अपने कोट में 100 डॉलर का बिल सिल दिया था और उनके ज्यादातर साथी मर गए थे। बेकर्स डूबने से बच गए, लेकिन उनमें से कोई भी फिर से भारत नहीं आया। रूथ के पिता, रेवरेंड बेकर आना चाहते थे क्योंकि वह भारत से प्यार करते थे। लेकिन उनकी मां ने नहीं आने दिया। जलवायु, अकाल, महामारी, एक बच्चे को खोना और फिर टाइटैनिक का डूबना, जाहिर है कोई क्यों चाहेगा। उन्होंने तय किया कि वह फिर कभी समुद्र पार नहीं करेंगी। रूथ भी कभी वापस नहीं आईं।’

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