विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने को कोई क्यों नहीं तैयार?
राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में कुछ दिन ही बाकी हैं लेकिन अब तक न ही सत्तापक्ष और न ही विपक्ष की ओर से उम्मीदवार का नाम सामने आया है। सत्ता पक्ष की ओर से नाम जल्द आएगा लेकिन विपक्ष की ओर एक के बाद एक संभावित नाम मैदान में उतरने से इनकार करते जा रहे हैं। विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार (Opposition Presidential Candidate) के तौर पर पहले शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, देवेगौड़ा और अब गोपाल कृष्ण गांधी ने उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है। गोपाल कृष्ण गांधी की ओर से यह फैसला उस वक्त लिया गया जब अगले ही दिन राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की बैठक होने वाली है। पिछले सप्ताह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में 17 राजनीतिक दलों की दिल्ली में बैठक होती है। इस बैठक में शरद पवार का नाम सबसे पहले आया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और उसके बाद तीन और नेता इनकार कर चुके हैं। विपक्षी एकता को लेकर सबसे बड़ा सवाल है और राष्ट्रपति चुनाव में संभावित उम्मीदवार एक के बाद एक करके मना करते जाएंगे तो सवाल और गहरा जाएगा। शिवसेना भी इसको लेकर सवाल उठा चुकी है। विपक्ष की ओर से कड़ी टक्कर देने की बात जब की जा रही तो फिर उम्मीदवार बनने से इनकार क्यों?
मुझसे बेहतर कोई और गोपालकृष्ण गांधी का इनकार
राष्ट्रपति चुनाव में महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है। उनकी ओर से बयान जारी कर कहा गया कि संयुक्त विपक्ष की ओर से नाम पेशकश किए जाने के लिए आभारी हैं। किसी और नाम पर विचार करें जो मुझसे बेहतर राष्ट्रपति हो सकता है। विपक्ष द्वारा राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार पेश करने की कवायद के बीच पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी से संपर्क किया गया था।