VIP कोटे की वजह से रेलवे को करोड़ों का घाटा
रेलवे को दो साल में टिकट कन्फर्म ना होने से वेटिंग के 2.26 करोड़ रेल यात्रियों के पीएनआर निरस्त करने पड़े हैं। वहीं दूसरी ओर इमरजेंसी कोटा (EQ) या आम बोलचाल में कहें तो VIP कोटा के तहत आरक्षित 2.55 करोड़ बर्थ में से 40% का भी उपयोग नहीं हो पा रहा है। कोविड के दो साल के दौरान तो 10% और 25% ही इस्तेमाल हो पाया।
लेकिन 2013 से कोविड के पहले के 7 सालों का रिकॉर्ड भी यही बताता है कि 2.55 करोड़ बर्थ के VIP कोटे से सालाना 1 करोड़ बर्थ भी अलॉट नहीं हो पाती, जबकि इसी कोटे को लेकर रेलवे मंत्रालय में 9 साल से एक ऐसी फाइल अटकी है, जिस पर सरकार की मुहर लगे तो रेलवे को सालाना 500 से 700 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी हो सकती है।
सीबीआई भी कह चुकी- कोटे का दुरुपयोग कर करोड़ों का घपला हो रहा
तत्काल या प्रीमियम टिकट की तर्ज पर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क लिए दिए जाने वाले इमरजेंसी या VIP कोटा पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। सीबीआई ने 2016 में खुद प्राथमिक जांच दर्ज करते हुए कहा था कि इस कोटे का दुरुपयोग कर करोड़ों का खेल किया जा रहा है।
इसके अलॉटमेंट में पारदर्शिता की बात भी कही थी, लेकिन दक्षिण रेलवे को छोड़ और किसी रेलवे ने सिस्टम को पारदर्शी बनाने की पहल नहीं की।