म्यांमार में सजा-ए-मौत फिर शुरू:34 साल बाद सुनाई गई फांसी की सजा

म्यांमार में 34 साल बाद फांसी की सज़ा सुनाई गई है। पिछली आंग सान सू ची की सरकार में सांसद फ्यो जेया थाव और लोकतंत्र का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता क्याव मिन यू उर्फ जिमी पर टेररिस्ट अटैक और मास किलिंग को अंजाम देने का आरोप है। इन अपराधों के लिए इन दोनों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है।

म्यांमार सरकार के इस आदेश की संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन ने निंदा की है। स्टीफन ने कहा- ये आदेश जीने की आजादी और मानवाधिकार के खिलाफ है।

दुनिया के लिए ये आदेश चौंकाने वाला
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा- म्यांमार में फांसी की सजा को फिर शुरू करना दुनिया के लिए चौंकाने वाली खबर है। इस फैसले को वापस लिया जाए। इंटरनेशनल कम्युनिटी को भी इस मामले में दखल देना चाहिए।

लोगों में डर पैदा करना मकसद

एमनेस्टी ने कहा- किसी अपराध के लिए मौत की सजा कई खौफनाक तरीकों में एक बन गई है। इस फैसले से म्यांमार सैन्य सरकार लोगों के बीच डर पैदा करना चाहती है। अगर कोई उनकी सरकार के खिलाफ खड़ा हुआ, तो उसे भी यही सजा दी जाएगी। ऐसी घटनाओं से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और आम नागरिकों पर हिंसा के मामले बढ़ सकते हैं।

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