कैसे 75% बजट पर कब्जा कर परिवार ने देश को किया बर्बाद

एक ऐसा देश जहां खाने के लिए अनाज नहीं हैं। मरीजों के लिए दवाई नहीं है। ATM में पैसे नहीं हैं। पेट्रोल-डीजल का संकट है। 16 घंटे बिजली कटौती हो रही है। विदेश से जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए डॉलर नहीं हैं।

हम बात कर रहे हैं अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की, जो आजादी के बाद के सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इससे श्रीलंका में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इस संकट के लिए श्रीलंका सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार राजपक्षे को जिम्मेदार बताया जा रहा है। फरवरी 2022 तक राजपक्षे परिवार के 5 प्रमुख सदस्यों के पास देश के सबसे प्रमुख मंत्रालय थे। दावा किया जाता है कि राजपक्षे परिवार के पास उस समय श्रीलंका का 75% बजट था।

यही कारण है कि श्रीलंका की जनता देश में आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार मानती है। श्रीलंका की जनता पिछले 2 महीने से इस परिवार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रही है। साथ ही राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रही है। यह विरोध का ही असर है कि 9 मई को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा।

क्या महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने के बाद समर्थकों को हिंसा के लिए उकसाया?

1948 में आजाद होने वाला श्रीलंका अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यहां पर जरूरी वस्तुओं की कमी हो गई है। जनता और विपक्ष इसके लिए राजपक्षे परिवार की गलत आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मार्च के आखिर से ही श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में प्रदर्शन जारी हैं। परेशान लोग सड़कों पर उतर चुके हैं, वो राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से गद्दी छोड़ने की मांग कर रहे हैं, वो नारे लगा रहे हैं- गो गोटबाया गो।

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