जहां ज्यादा चुनौती, वहां से सबसे अधिक मंत्री
योगी 2.0 कैबिनेट में 2024 लोकसभा चुनाव की झलक दिख रही है। ‘अपराजेय’ सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर काम करते हुए भाजपा ने वेस्ट यूपी से सबसे ज्यादा 25 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। विधानसभा चुनाव 2022 की शुरुआत भी पश्चिम से हुई थी। जहां भाजपा के लिए सबसे ज्यादा मुश्किले थीं। वोट शेयरिंग मजबूत होने से लोकसभा चुनाव के समीकरण साधने के लिए सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व वेस्ट यूपी का रखा गया है।
भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले पूर्वांचल को भी तवज्जों दी गई है। योगी कैबिनेट के 15 मंत्रियों की राजनीति पूर्वांचल की जमीन से जुड़ी हुई है। सबसे कम बुंदेलखंड के विधायकों को मौका मिला है। बुंदेलखंड से आने वाले सिर्फ 2 ही मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकी है। वहीं अवध क्षेत्र की राजनीति करने वाले 10 विधायकों को मंत्री बनाया गया है।
सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग, फिर ठाकुरों का प्रतिनिधित्व
लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए कह सकते हैं कि सभी जातियों को साधने का प्रयास हुआ है। सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग के 18 मंत्री बनाए गए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, मंत्रियों की उच्च शिक्षा और अनुभव को भी ध्यान में रखा गया है। भाजपा को इस चुनाव में यादवों का बहुत ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला। इसलिए सिर्फ गिरीश यादव को दोबारा रिपीट किया गया है। वहीं, विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान कहा गया कि ब्राह्मण मतदाता नाराज हैं। हालांकि भाजपा को ही उनका वोट मिला। अब लोकसभा चुनाव हैं, इसलिए 8 ब्राह्मण विधायकों को मंत्रिमंडल शामिल किया गया है। अनुसूचित जाति के वोटर्स को लेकर माना गया कि मायावती का कोर वोट बैंक भी सरक गया। बसपा को 2017 में 22% से ज्यादा वोट मिले थे। इस बार उसे करीब 13% वोट मिले हैं। बसपा के इस वोट बैंक में नौ फीसदी की कमी आई है। इसको ध्यान में रखते हुए भाजपा ने 7 अनुसूचित जाति के मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया है। पिछली कैबिनेट में भी 7 अनुसूचित जाति के मंत्री रखे गए थे।