रूस ने यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क को आजाद देश की मान्यता क्यों दी

मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin Ukraine Crisis) ने पूर्वी यूक्रेन के दो अलग-अलग क्षेत्रों को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी है। जिसके बाद से यूक्रेन और रूस (Russia Ukraine Latest News) के बीच तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने तो यहां तक कह दिया है कि उनका देश रूस के साथ संबंध तोड़ने पर विचार करेगा। रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा (Russia Annexed Crimea From Ukraine) कर लिया था। जिसके बाद से ही दोनों देशों में तनाव बरकरार है। यूक्रेन के दो इलाकों डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वघोषित पीपुल्स रिपब्लिक की मान्यता देने पर अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने तीखी प्रतिक्रिया भी दी है। यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन और अमेरिका ने रूस पर नए प्रतिबंधों को लगाने के लिए मैराथन बैठकें भी शुरू कर दी हैं। ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने तो पुतिन के इस कदम को यूक्रेन पर रूस का आक्रमण करार दिया है।

डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्र क्या हैं?
डोनेट्स्क और लुहान्स्क पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा हैं। इन इलाकों को सम्मिलित रूप से डोनबास क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। इस इलाके में रूस के समर्थन वाले अलगाववादियों का कब्जा है। ये इलाके 2014 से ही यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं और खुद को स्वतंत्र पीपुल्स रिपब्लिक घोषित किया हुआ है। हालांकि, इन इलाकों को रूस और बेलारूस ने ही मान्यता दी है। यूक्रेन का आरोप है कि डोनबास क्षेत्र में जारी संघर्ष में अबतक 15000 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि रूस खुद को इस संघर्ष का एक पक्ष बताए जाने से इनकार करता रहा है।

रूस इस इलाके के लोगों की कई तरह से सहायता करता है। इसमें गुप्त सैन्य सहायता, वित्तीय मदद, कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति और इस इलाके के 800000 लोगों को रूसी पासपोर्ट तक जारी किया गया है। इसके बावजूद रूस इन लोगों की सहायता से हमेशा से इनकार करता रहा है। डोनबास क्षेत्र में रूसी भाषी नागरिकों की संख्या ज्यादा है। ये लोग खुद को रूस के ज्यादा नजदीक मानते हैं, वहीं यूक्रेनी सरकार इन्हें अलगाववादियों के रूप में देखती है। रूस का आरोप है कि यूक्रेनी सरकार इन इलाकों में बड़े पैमाने पर हिंसा कर रही है। खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन डोनबास क्षेत्र में यूक्रेनी सेना की कार्रवाईयों को नरसंहार बता चुके हैं।

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