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कांग्रेस ने ब्रेकर पार किया मगर सफर अभी बाकी

जयपुर
राजस्थान में सचिन पायलट ने साफ कर दिया कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं थी। वो मुद्दों की बात करते हैं। मेरी ओर से जो भी सवाल उठाए गए थे, उसपर संज्ञान लिया गया। मगर राजनीति में चीजें जितनी साफ-साफ दिखती है, उतनी होती नहीं है। सामने दिखता कुछ और है लेकिन किया कुछ और जाता है। तमाम दांव-पेंच के बीच राज्य में कांग्रेस ने किसी तरह ब्रेकर तो पार कर ही लिया।

तूफान से पहले की खामोशी तो नहीं!
राजस्थान मंत्रिमंडल में फेरबदल और सचिन पायलट की संतुष्टि, कहीं आनेवाले तूफान से पहले की खामोशी तो नहीं है। सचिन पायलट ने 2018 विधानसभा चुनाव में जी-तोड़ मेहनत की थी। मगर कुर्सी पर पार्टी के धुरंधर ने कब्जा जमा लिया। सचिन पायलट को लगा कि मेहनत के हिसाब से उन्हें इनाम नहीं मिला। जिसका अनुमान लगाया जा रहा था, आखिरकार वही हुआ। गहलोत की सरकार को गिराने तक पर सचिन पायलट उतारू हो गए। किसी तरह कांग्रेस अपना किला बचाने में कामयाब रही।

मिशन-2 पर जुट गए सचिन पायलट
कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को तो मना लिया, मगर गहलोत को लेकर पायलट ने कभी भी अपनी नाराजगी नहीं छिपाई। उनकी हमेशा से मांग रही कि उनके लोगों को भी सरकार (मंत्रिमंडल) में जगह दी जानी चाहिए। लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद पायलट की मुराद पूरी हुई। मगर सचिन पायलट ने आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया। वो है 2023 विधानसभा चुनाव।

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