चीन से बढ़ती यारी पड़ी भारी, पाकिस्‍तान पर बरपेगा अमेरिकी कहर!

इस्‍लामाबाद
इमरान खान का अमेरिका के खिलाफ बयान देना और चीन से बढ़ती नजदीकी पाकिस्‍तान के लिए भारी पड़ती जा रही है। पाकिस्‍तानी सांसदों ने चेतावनी दी है कि देश पर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का कहर बरप सकता है। सांसदों ने कहा कि पहले पाकिस्‍तान चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाता था लेकिन इसका वांछित परिणाम नहीं सामने आया। पाकिस्‍तानी नीति निर्माताओं ने सांसदों को बताया कि अफगानिस्‍तान में अराजक तरीके से अमेरिका के वापस जाने से इस्‍लामाबाद और वॉशिंगटन के बीच संबंध रसातल में पहुंच गए हैं।

द एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान की संसद के एक सदस्‍य ने इमरान सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘अमेरिका के साथ रिश्‍ते इस समय सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच गए हैं।’ वह भी तब जब एक समय में पाकिस्‍तान अमेरिका का घनिष्‍ठ सहयोगी था। पाकिस्‍तान पहले दावा करता था कि वह अमेरिका और चीन के बीच पुल का काम करता है लेकिन अब उसकी यही भूमिका अब गले का फांस बन गई है। पाकिस्‍तानी निजाम को अब इस बात का अहसास हो गया है कि यह अब उतना आसान नहीं रहा।

संतुलन को बनाए रखना पाकिस्‍तान के लिए टेढ़ी खीर
चीन अब लगातार तेजी से हर मोर्चे पर अपना विकास कर रहा है और विश्‍लेषकों का मानना है कि अमेरिका और ड्रैगन के बीच अगला शीतयुद्ध शुरू हो सकता है। ऐसे में दोनों के बीच संतुलन को बनाए रखना पाकिस्‍तान के लिए टेढ़ी खीर साबित होने जा रहा है। चीन पाकिस्‍तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है, ऐसे में इमरान सरकार उसे छोड़ भी नहीं सकती है। उधर, अमेरिका का आईएमएफ और अन्‍य वित्‍तीय संगठनों तथा एफएटीएफ पर बहुत ज्‍यादा प्रभाव है।

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