प्रियंका का अकेले चुनाव लड़ने का एलान

लखनऊ
उत्तर प्रदेश की सियासत में रसातल पर जा चुकी कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में दोबारा उठ खड़ा होने की जीतोड़ कोशिश कर रही है। कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस यूपी में अपनी खोई हुई जमीन ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है। इसी कोशिश के बीच प्रियंका गांधी ने एलान कर दिया है कि पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरेगी। इस निर्णय के पीछे प्रियंका ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिले फीडबैक को आधार बताया है।

बुलंदशहर में कांग्रेस प्रतिज्ञा सम्मेलन- लक्ष्य 2022 कार्यक्रम में प्रियंका ने कहा कि मुझे कई लोगों ने कहा कि कुछ भी कीजिए इस बार गठबंधन मत करिए। मैं आप लोगों को आश्वासन देना चाहती हूं हम सारी सीटों पर लड़ेंगे, अपने दम पर लड़ेंगे। प्रियंका के इस एलान के बाद लखनऊ के सत्ता के गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या गठबंधन से दूरी की वजह ये है कि पिछले 3 दशक से पार्टी चुनाव दर चुनाव निचले स्तर पर गिरती जा रही है। गठबंधन उसे सूट नहीं किया। दूसरा ये कि यूपी चुनाव में फिलहाल कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन का इच्छुक ही नहीं है, लिहाजा अकेले लड़ने का फैसला मजबूरी है?

दरअसल कांग्रेस पार्टी पिछले 30 सालों से उत्तर प्रदेश में 50 सीटों का आंकड़ा तक नहीं पा सकी है। आखिरी बार 32 साल पहले उसने 1989 में 94 सीटें जीती थीं, उसके बाद 1991 में वह 46 पर गिरी, फिर 1996 में 33, 2002 में 25, 2007 में 22, 2012 में 28 और 2017 में 7 सीटें उसके हिस्से में रह गईं। गठबंधन को लेकर इस दौरान पार्टी ने खूब प्रयाेग किए लेकिन गठबंधन से उलटे वह और नीचे खिसकती चली गई।

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