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उप-चुनावों के परिणाम मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी या फिर राहत की सांस

नई दिल्ली
भारत में हर साल कहीं न कहीं लोकतंत्र का पर्व मनाया जाता है। पूरे देश में दीवाली की धूम है और इसी बीच 29 विधानसभा सीट सहित तीन लोकसभा सीटों पर मंगलवार को उपचुनाव परिणाम आए। इन चुनावों में एकतरफा जीत किसी को नहीं मिली मगर क्षेत्रीय पार्टियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। इन चुनावों को एक तरह से मोदी सरकार से जोड़कर भी देखा जा रहा है। राजस्थान, हिमाचल और पश्चिम बंगाल में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई। सबसे ज्यादा जो चौंकाने वाली बात ये है कि हिमाचल प्रदेश में सरकार तो बीजेपी की है और ऐसा माना जाता है कि जिसकी सरकार होती है ज्यादातर उसी पार्टी को उपचुनावों में जीत मिलती है मगर ये मिथ हिमाचल से तोड़ दिया। वहीं कांग्रेस के लिए सुखद खबर ये है कि उसने अपने राज्य की सीटों में बीजेपी को सेंधमारी नहीं करने दी।

उपचुनाव मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा
ये उपचुनाव मोदी सरकार के लिए एक तरह से अग्निपरीक्षा की तर्ज पर देखा जा रहा था। बीजेपी इन परिणामों से खुश तो बिल्कुल भी नहीं होगी। वहीं लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस के लिए ये किसी संजीवनी से कम नहीं होगा। मगर बीजेपी को ये झटका क्यों लगा ये विचार करने वाली बात होगी और बीजेपी इसमें मंथन में जुट भी गई होगी। लेकिन भाजपा का उपचुनावों में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने के पीछे कई वजह हैं। पूरे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बेहिसाब बढ़ती जा रही हैं। इसके साथ ही दीवाली से ठीक पहले कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दामों में वृद्धि कर दी गई। महंगाई एक बड़ा कारण है जो वोटर को सीधे-सीधे टार्गेट करता है। इसके अलावा किसान आंदोलन, बेरोजगारी, हंगर इंडेक्स भी भारत की रैंकिंग गिरना भी इन चुनावों में बड़े कारण बनकर उभरे हैं।

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