अमूल की तरह जल्द हो सकती है एक और क्रांति

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि सहकारिता क्षेत्र भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की क्षमता रखता है तथा यह कृषि क्षेत्र को आत्म-निर्भर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। शाह ने खेती और उससे जुड़े क्षेत्रों के विकास के लिए सहकारिता मॉडल को लागू करने की जरूरत पर भी जोर दिया, जो दुग्ध उत्पादक अमूल की सफलता का कारक है।

उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि आज हम देख सकते हैं, लाल बहादुर शास्त्री का श्वेत क्रांति का सपना साकार हो रहा है। लेकिन समय इससे आगे देखने का आ गया है। हमें खेती और पशुपालन जैसे क्षेत्रों के उत्थान के लिए सहकारिता मॉडल को लागू करने की जरूरत है।’’ गृह मंत्री ने कहा, ‘‘कृषि को आत्म-निर्भर बनाने में सहकारिता मॉडल महत्वपूर्ण साबित होगा।’’

शाह अमूल के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यहां आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे जिसकी शुरुआत आणंद में सरदार वल्लभभाई पटेल और खेड़ा जिला सहकारिता दुग्ध उत्पादक, जिसे अमूल डेयरी के नाम से जाना जाता है, के संस्थापक तथा सहकारिता क्षेत्र के नेता त्रिभुवनदास पटेल के मार्गदर्शन में सहकारिता आंदोलन के रूप में 1946 में हुई थी। गुजरात में करीब 36 लाख किसान परिवार वर्तमान में अमूल के साथ जुड़े हुए हैं।

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