हमारा आंदोलन कोई धार्मिक मोर्चा नहीं, निहंगों को यहां से चले जाना चाहिए
कृषि कानूनों को लेकर सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच निहंग कई बार संयुक्त किसान मोर्चा के लिए समस्या बन चुके हैं। यही वजह है कि दो महीने पहले किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल को कहना पड़ा था कि निहंगों का यहां कोई काम नहीं है, उन्हें यहां से चले जाना चाहिए।
उस वक्त राजेवाल की बात का विरोध हुआ था और कहा गया था कि निहंग, किसानों की हिमायत पर आए हैं तो कैसे हटाया जा सकता है, लेकिन गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में निहंगों द्वारा एक युवक की हत्या की घटना से ये मुद्दा फिर गरमा गया है। किसान आंदोलन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि यह कोई धार्मिक मोर्चा नहीं है, बल्कि यह किसान मोर्चा है। इसमें निहंगों के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन वे हटने को तैयार ही नहीं हैं।
किसान नेताओं को भी ललकार देते हैं निहंग
दरअसल निहंग संयुक्त किसान मोर्चा के स्टेज के बिल्कुल पीछे तंबू लगाकर बैठे हुए हैं। यहां पर उनकी ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश भी किया हुआ है। घोड़े बांधकर रखे हुए हैं। निहंग अक्सर स्टेज पर नंगी तलवारें लेकर आते हैं और किसान नेताओं को ही ललकारने लगते हैं। यही नहीं वे कई बार किसान नेताओं को अपने आदेश भी सुना चुके हैं।
26 जनवरी को लाल किले पर जाने में भी आगे रहे थे
26 जनवरी को जब दिल्ली में किसानों की तरफ से ट्रैक्टर परेड की गई थी तो लाल किले की तरफ जाने वालों में सबसे आगे निहंग ही थे। बैरिकड तोड़ने की बात आई तो भी वे सबसे आगे रहे। ट्रैक्टर मार्च के आगे-आगे भी निहंग घोड़ों पर चल रहे थे। तब भी इन्हें लेकर कई तरह की आवाजें उठी थीं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।