आंदोलन कर रहे आदिवासियों के लिए खुले राजभवन के दरवाजे,
रायपुर
बुधवार को छत्तीसगढ़ में वो हुआ जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था। नगर को ग्राम पंचायत में तब्दील करने की मांग लेकर बस्तर से पैदल यात्रा कर रायपुर पहुंचे आदिवासियों के लिए राजभवन के दरवाजे खोल दिए गए। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राजभवन के लॉन में चौपाल लगाई और करीब 300 आदिवासियों को बुठाकर उनकी समस्या सुनी। राज्यपाल ने आदिवासी क्षेत्रों में स्थित इलाकों की इस समस्या के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। राज्यपाल ने उन्हें भरोसा दिया कि इसके कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
करीब 13 साल पहले 22 गांवों को बस्तर नगर पंचायत में मिला दिया गया था। ग्रामीण तभी से इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। मंगलवार रात को इन गांवों के करीब 300 लोग पैदल मार्च करते हुए रायपुर पहुंचे। आदिवासियों ने इसे संवैधानिक पदयात्रा नाम दिया है। पदयात्रा 3 अक्टूबर को शुरू हुई थी। बुधवार को राजभवन का घेराव करने जा रहे आदिवासियों को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया। आदिवासी वहीं जमीन पर बैठकर विरोध जताने लगे। वे अड़ गए कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती, तब तक वापस नहीं जाएंगे। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। कई आदिवासी अपने हाथों में संविधान इस प्रदर्शन में शामिल हुए।