पराली जलाए बिना मिलेगी इससे निजात

जैसे ही धान की कटाई शुरू होती है, पराली (Stubble) की समस्या खड़ी हो जाती है। पराली से निजात पाने के लिए किसान इसे जला (Stubble) देते हैं। पराली जलाने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है, साथ ही खेत की मिट्टी को भी नुकसान होता है क्योंकि कई पोषक तत्व और खेती के लिए मित्र माने जाने वाले कीड़े मर जाते हैं। पराली जलाए बिना इससे मुक्ति पाने का सॉल्युशन आ चुका है। यह सॉल्युशन है भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित बायोएंजाइम, पूसा बायोडिकंपोजर।

इस बायोडिकंपोजर के छिड़काव के बाद पराली खाद में बदल जाती है। इस डिकंपोजर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और किसानों को छिड़काव की सर्विस फ्री में मुहैया कराने का जिम्मा उठाया है नर्चर डॉट फार्म ने।

मुंबई की कंपनी यूपीएल की इकाई नर्चर डॉट फार्म ने क्रॉप रेजिड्यू मैनेजमेंट (CRM) प्रोग्राम शुरू किया है। प्रोग्राम के तहत पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की प्रथा खत्म करने के लिए 5 लाख एकड़ से अधिक रकबे को शामिल करते हुए 25000 से अधिक किसानों को कंपनी ने अपने साथ जोड़ा है। नर्चर डॉट फार्म इन किसानों को फ्री में पूसा बायोडिकंपोजर की छिड़काव सेवा दे रही है, जो 20-25 दिनों के भीतर पराली को खाद में बदल देता है।

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