बच्चे-बच्चे को पता होना चाहिए महिलाओं-लड़कियों के ये 9 अधिकार
आजकल मैं रोज वॉट्सऐप स्टेटस पर माता रानी की तस्वीर लगा रहा हूं। कल एक दोस्त ने रिप्लाई किया कि कभी अपने आसपास की नवदुर्गाओं की फिक्र कर लिया करो। ये तो आस्था पर चोट थी। लड़की सीधे सवाल खड़े कर रही थी।
बात एक लेवल आगे बढ़ गई। उसने मुझसे महिलाओं से जुड़े 9 अलग-अलग सवाल किए। और यकीन मानिए तब उसे जवाब देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था। फिर मैंने कुछ रिसर्च की, कुछ सीनियर एडवोकेट्स से बात की। आज उसी लड़की के उसके सवालों के जवाब लेकर आया हूं।
जवाब और महिला का अधिकारः उपाय है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 कहता है कि घरेलू हिंसा सिर्फ मारपीट नहीं होती। भला-बुरा कहना। ताना मारना। ये कहना कि अपने मां-बाप के घर से क्या सीख के आई हो? साड़ी पहनने का सलीका नहीं है। खाना बनाने की समझ नहीं है। महिला की कमाई उससे ले लेना। या फिर आपकी सैलरी पर EMI शुरू करा देना। इन सारी चीजों के विरोध का आपको अधिकार है।
मोटे तौर पर फिजिकल अब्यूज, इमोशनल अब्यूज, इकोनॉमिकल अब्यूज या फिर सेक्सुअल अब्यूज, इन सबके खिलाफ शिकायत कर सकती हैं।
ये एक्ट घरेलू हिंसा के बारे में है। न कि मायके या ससुराल के बारे में। कहने का मतलब ये कि सिर्फ पति के घर में नहीं, अगर आपके माता-पिता के घर में भी ये चीजें हो रही हैं तो विरोध करने का आपके पास पूरा अधिकार है।
शिकायत कहां करेंगीः सबसे पहले महिला हेल्पलाइन 1090, 1091 पर कॉल कीजिए। बात नहीं बनती तो महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराइए। राष्ट्रीय महिला आयोग दिल्ली के जनपथ पर है। इसके अलावा हर प्रदेश में राज्य महिला आयोग है, जिनके सदस्य जिला स्तर पर भी होते हैं।
अलग से ये बात नोट कर लेंः महिला आयोग एक सिविल कोर्ट के बराबर हैसियत रखती है। जिले में सरकार की ओर से महिला सेल बनाने के आदेश हैं। उसे तलाशें। इन सबके बाद भी अगर आपकी बात नहीं सुनी गई तो कोर्ट में सीधे शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इसमें आपको किसी वकील की जरूरत नहीं है।