अमेरिका ने चीन के खिलाफ बनाया ‘महागठबंधन’

वॉशिंगटन
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्‍ट्रेलिया ने चीनी दादागिरी के खिलाफ ‘शंखनाद’ कर दिया है। इन तीनों देशों ने ड्रैगन पर नकेल कसने के लिए एक नए ‘एंग्‍लो’ सैन्‍य गठबंधन का निर्माण किया है। नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन को ‘ऑकस’ (AUKUS) नाम दिया गया है। ऑस्‍ट्रेलिया ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ अपने गठजोड़ को मजबूत करने के लिए फ्रांस के साथ 90 अरब डॉलर के सबमरीन डील को रद कर दिया है। इसकी जगह पर ऑस्‍ट्रेलिया अब अमेरिका-ब्र‍िटेन की मदद से परमाणु सबमरीन खरीदेगा और उस पर अमेरिकी ‘ब्रह्मास्‍त्र’ टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें लगी होंगी।

इसके साथ ही अब दुनिया में एक और सैन्‍य गठबंधन की शुरुआत हो गई है। अमेरिका ने रूस पर लगाम लगाने के लिए नाटो का निर्माण किया था और बदली हुई परिस्थिति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन अमेरिका का सबसे बड़ा शत्रु हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसी चीनी खतरे से निपटने के लिए अब बाइडन ने अफगानिस्‍तान से अपनी सेना को हटाया है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति का अब पूरा फोकस चीन हो गया है।

‘अंग्रेजों’ के गठबंधन से यह दुनिया एक नए विश्‍व की ओर बढ़ रही
एक तरफ अमेरिका चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी को मजबूत कर रहा है, वहीं 90 अरब डॉलर की डील रद्द होने से फ्रांस भड़क गया है। फ्रांस ने इसे पीठ में छूरा भोकना करार दिया है। दोनों देशों के बीच संबंध इराक युद्ध के बाद सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच गए हैं। फ्रांस भले ही अमेरिका से नाराज हो गया हो लेकिन ‘अंग्रेजों’ के इस गठबंधन से यह दुनिया अब एक नए विश्‍व की ओर बढ़ रही है। ऑकस सैन्‍य गठबंधन एक तरह से इतिहास को अपने आप में दोहरा रहा है।

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