ओलिंपिक के मैदान पर हॉकी पर सिर रखकर रोतीं इन बेटियों के आंसुओं को पढ़ पाए आप?

इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम का पहला ओलंपिक पदक जीतने का सपना अधूरा रह गया। हालांकि, भारतीय टीम ने पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचकर पहले ही इतिहास रच दिया था। सेमीफाइनल मैच में टीम ने ग्रेट ब्रिटेन की टीम को जोरदार टक्कर दी। हालांकि, ब्रॉन्ज मेडल के इस मुकाबले में ब्रिटेन ने 4-3 से भारत को हरा दिया।

उनके लिए राह हमेशा मुश्किल रही है। उनका संघर्ष बेटों से हमेशा ज्यादा रहा है। इन तमाम चुनौतियों को लांघ वे ओलिंपिक में पहुंचीं। …और क्या गजब खेलीं। आंखों में आंसुओं के साथ देश ने अपनी इस बेटियों का करिश्मा देखा। कभी हार न मानने का जज्बा देखा। वे जब मैदान पर जान लड़ा रही थीं, तब कई आंखों में मैदान से बाहर की उनकी तस्वीरें जरूर तैरी होंगी।

ओलिंपिक मेडल हाथ से फिसलने के बाद मैदान पर हॉकी पर सिर रख आंसुओं में डूबी इन बेटियों के आंसुओं को पढ़िए। इनमें संघर्ष की एक पूरी कहानी छिपी है। आपके आसपास की कहानी। लड़के नहीं रोते, रोती तो लड़कियां हैं… आप इन आंसुओं को पढ़ पाएंगे, तो हमारे घरों में अक्सर सुनाई देने वाले इस ताने का असल मायने आप सीख पाएंगे

मेडल से कम नहीं हैं ये लाइनें

क्या गजब गेम था.. और क्या गजब टीम थी… हार के बाद विपक्षी ग्रेट ब्रिटेन की टीम के ये शब्द पढ़िए। इसमें भारतीय लड़कियों के जज्बे को सलामी है, नमस्कार है। विपक्षी भी आपका लोहा मान जाए, आपके खेल का कायल हो जाए, तो क्या यह किसी मेडल से कम है।

ये आंसू नहीं, हौसले के मोती हैं

सामने ओलिंपिक चैंपियन टीम और इधर बेहद सामान्य घरों से निकली बेटियों का जज्बा। ऐसा जज्बा कि मैच में एक बार 0-2 से पिछड़ने के बाद इन शेरनियों ने कुछ मिनट के अंदर ही स्कोर 3-2 कर दिया। आखिर में मैच का नतीजा भले ही हमारे साथ नहीं रहा हो, लेकिन उनके लड़ने का जज्बा कई लड़कियों को प्रेरित करेगा।

पांच मिनट के भीतर दागे तीन गोल

ओलिंपिक ब्रॉन्च के इस मैच में भारतीय महिला टीम ने पांच मिनट के भीतर तीन गोल किए। गुरजीत कौर ने 25वें और 26वें मिनट में जबकि वंदना कटारिया ने 29वें मिनट में गोल दागे।

हमने पदक नहीं बहुत कुछ बड़ा जीता है…

”हमने पदक नहीं जीता, लेकिन मुझे लगता है कि हमने कुछ बड़ा जीता है। हमने भारतीयों को फिर से गौरवान्वित किया है । हमने लाखों लड़कियों को प्रेरित किया है कि सपने सच हो सकते हैं जब तक आप इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं और उस पर विश्वास करते हैं! समर्थन के लिए धन्यवाद!”

श्रोएड मराइन, भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच।

​रानी रामपाल की अगुवाई में बेहतरीन खेल

स्ट्राइकर कप्तान रानी रामपाल की अगुआई मे वंदना कटारिया, शर्मिला कुमारी और नवनीत कौर और ललरेमसियामी समेत पूरी टीम ने ओलिंपिक में बेहतरीन खेल दिखाया। मिडफील्ड में नेहा गोयल, सलीमा टेटे और सुशीला चानू ने भी गोल करने के कई बेहतरीन मौके बनाए।

​गुरजीत कौर का दमदार प्रदर्शन

गुरजीत कौर ने इस मैच में दो गोल किए। इससे पहले ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पेनल्टी कॉर्नर पर एकमात्र गोल से जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी। गुरजीत कौर ने अर्जेंटीना के खिलाफ भी मैच के दूसरे ही मिनट में पहले पेनल्टी कॉर्नर के गोल में बदल कर भारत को शुरुआती बढ़त दिलाई थी।

​दीवार की तरह खड़ी रहीं गोलकीपर सविता पुनिया

वाइस कैप्टन और गोलकीपर सविता पुनिया एक बार फर दीवार की तरह खडी दिखाई दीं। तीसरे क्वॉर्टर के खत्म होने से पहले वह शानदार बचाव न करतीं, तो भारत के ऊपर एक गोल और चढ़ जाता। लेकिन पूरे ओलिंपिक में चर्चा बटोर रहीं सविता ने इसके अनुरूप ही शानदार बचाव कर ग्रेट ब्रिटेन को निराश कर दिया।

​ऐसे सफर की उम्मीद नहीं थी

https://103aa7ea483d4e9dce996029013d765a.safeframe.googlesyndication.com/safeframe/1-0-38/html/container.html

नीदरलैंड, जर्मनी और ब्रिटेन से शुरू के तीनों पूल मैच हारने के बाद भारतीय टीम ने जिस तरह से वापसी की उसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। दुनिया की सातवें नंबर की टीम भारत की टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर दुनिया को अपना दम दिखाया।