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सिविल जज भर्ती के लिए 3 साल की प्रैक्टिस की अनिवार्यता खत्म, MP हाईकोर्ट का आदेश रद्द

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सिविल जज के पदों पर भर्ती के लिए तीन साल की लीगल प्रैक्टिस अनिवार्य कर दी गई थी. जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि दोबारा परीक्षा कराना “असंवैधानिक और अव्यावहारिक” है. दुबे ने जोर देकर कहा कि इससे मुकदमेबाजी का सिलसिला शुरू हो जाएगा. आवेदनों पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा अपनी खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को स्वीकार कर लिया.

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 13 जून, 20

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