व्यापार

पेट्रोल पंप के लाइसेंस मानकों को संशोधित कर सकती है सरकार

नई दिल्ली। सरकार ने पेट्रोल पंपों के लाइसेंस जारी करने के मानदंडों को शिथिल करने और नीति में सुधार करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह कदम बदलते वैश्विक ईंधन परिदृश्य और भारत में ऊर्जा सुरक्षा एवं कार्बन उत्सर्जन घटाने के राष्ट्रीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2019 की नीति की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता बीपीसीएल के पूर्व निदेशक (विपणन) सुखमल जैन कर रहे हैं। समिति में पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के महानिदेशक पी. मनोज कुमार, फिपी के सदस्य पीएस रवि और मंत्रालय के निदेशक (विपणन) अरुण कुमार भी शामिल हैं। समिति का उद्देश्य मौजूदा नीति का पुनर्मूल्यांकन, वैकल्पिक ईंधनों और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के सुझाव देना और नीति के क्रियान्वयन में आ रही चुनौतियों की पहचान करना है। सरकार ने 6 अगस्त को आदेश जारी कर हितधारकों और जनता से 14 दिनों के भीतर सुझाव मांगे हैं। 2019 में संशोधित नियमों के तहत, गैर-पेट्रोलियम कंपनियों को शुद्ध संपत्ति के आधार पर पेट्रोल-डीजल बेचने की अनुमति दी गई थी। वर्तमान में देश में लगभग 97,804 पेट्रोल पंप हैं, जिनमें इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल जैसी सरकारी कंपनियों का बड़ा हिस्सा है। निजी क्षेत्र में रिलायंस-बीपी, नायरा एनर्जी और शेल के भी कई पंप संचालित हैं। वैश्विक ऊर्जा कंपनियां जैसे टोटल एनर्जीज़, बीपी, ट्रैफिगुरा और सऊदी अरामको भी भारतीय खुदरा ईंधन बाजार में हिस्सेदारी की इच्छा रखती हैं। नई नीति के जरिए सरकार ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और वैकल्पिक ईंधनों को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *