जब कोई फिल्म जात, प्रेम और विद्रोह जैसे मुद्दों को छूने का दावा करे, तो दर्शक एक गहराई की उम्मीद लेकर थिएटर में जाता

जब कोई फिल्म जात, प्रेम और विद्रोह जैसे मुद्दों को छूने का दावा करे, तो दर्शक एक गहराई की उम्मीद लेकर थिएटर में जाता है। ‘धड़क 2’ भी ऐसी ही एक कोशिश है, पर यह कोशिश जितनी दमदार दिखती है, उतनी महसूस नहीं होती। आज यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 7 मिनट है

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