PhD और NET के आधार पर होगी प्रोफेसर की नियुक्ति, UGC ने किया बदलाव
उच्च शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रमों की तरह विश्वविद्यालयों सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी अब लचीली होगी, जिसमें अब शिक्षकों की नियुक्ति सिर्फ पीएचडी और नेट के विषयों के आधार पर दी जाएगी।
अभी तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जो न्यूनतम पात्रता थी, उनमें ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन व पीएचडी या फिर नेट की पढ़ाई एक ही विषय में होनी जरूरी होती थी। हालांकि, अब इस बाध्यता को खत्म कर दिया है। नई व्यवस्था में उम्मीदवार ने भले ही ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई किसी भी विषय से की है, लेकिन अब वह सिर्फ पीएचडी या नेट में रखे गए विषय के आधार पर ही संबंधित विषय के शिक्षक पदों पर भर्ती के लिए पात्र होंगे।
यूजीसी ने जारी किया ड्राफ्ट
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती व पदोन्नति के नियमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत और लचीला किया है। साथ ही इन बदलावों को लेकर एक मसौदा भी जारी किया है। इसके तहत मसौदे को अंतिम रूप देने के छह महीने के भीतर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इसे अपनाना होगा। इनमें विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय, स्वायत्त कॉलेज और कॉलेज भी होंगे।
इसके साथ ही इस नई व्यवस्था में अब शैक्षणिक योग्यता के साथ ही उनके अनुभव और स्किल को महत्व दिया जाएगा। यूजीसी ने यह पहल तब की है, जब उच्च शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रमों को भी पहले के मुकाबले लचीला बनाया गया है, जहां छात्रों को कभी भी पढ़ाई छोड़ने और उसे फिर से शुरू करने का विकल्प दिया गया है।
पदोन्नति में भी स्किल को दिया जाएगा महत्व
यूजीसी ने इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों की पदोन्नति में शैक्षणिक प्रदर्शन की जगह उनके स्किल और अनुभव को महत्व देने का सुझाव दिया गया है। नए प्रस्तावित नियमों में योग, संगीत, परफॉर्मिंग व विजुअल आर्ट, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विशेष भर्ती प्रक्रिया को अपनायी जाएगी।