एक देश, एक चुनाव’ की दिशा में बड़ा कदम, 90 दिनों में पास होने की संभावनाओं पर नजर

One Nation One Election: ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा को मूर्त रूप देने की पहली कड़ी में केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच इससे संबंधित संविधान संशोधन विधेयक और इससे जुड़े एक अन्य विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया।

‘एक देश, एक चुनाव’ से संबंधित विधेयक पेश होने की पहली सीढ़ी पर ही तगड़े विरोध का सामना करना पड़ा और विपक्ष ने मतविभाजन करा अपने इरादे साफ कर दिए। विपक्ष के 198 मतों के मुकाबले 269 सदस्यों का समर्थन हासिल कर सरकार ने विधेयक पेश करने में सफलता हासिल कर ली। मगर संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत जुटाने की चुनौती को देखते हुए ‘एक देश, एक चुनाव’ से संबंधित 129वें संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति में भेजने की हामी भर दी।

लोकसभा में 129वें संशोधन विधेयक के साथ केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक 2024 भी पेश किया जिसमें तीन केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव भी लोकसभा चुनावों के साथ कराने का प्रावधान है। कानून मंत्री के दोनों विधेयकों को पेश करने का प्रस्ताव रखते ही विपक्ष ने विधायी और कानूनी सवालों की झड़ी लगाते हुए इसका तीखा विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष की आशंकाओं को निराधार बताते हुए मेघवाल ने दावा किया कि प्रस्तावित विधेयक संविधान की मूल संरचना के सिद्धांत पर हमला नहीं करता।

लोकसभा में सरकार ने पास कराने के लिए दो विधेयक पेश किए। जिनमें से एक राज्य विधानसभाओं की अवधि और विघटन में बदलाव और उनके कार्यकाल को लोकसभा से जोड़ने का प्रस्ताव करता है, और दूसरा दिल्ली, जम्मू और कश्मीर तथा पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में इसी तरह के बदलाव का प्रस्ताव करता है।

वर्तमान स्थिति में बीजेपी के पास लोकसभा में दो विधेयक पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। इस स्थिति में सरकार को इन दोनों विधेयकों को पारित कराने के लिए तमाम चुनौतियों से गुजरना पड़ सकता है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा सुझाए गए इन संशोधनों को लोकसभा से पारित होने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।

बहुमत होने के बाद भी भाजपा और उसके सहयोगी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास केवल 293 सांसद हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारत ब्लॉक के पास 234 हैं। इस विधेयक को लोकसभा में पारित कराने के लिए 362 मतों की आवश्यकता होगी।

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