अमेरिका में नागरिकता नीति में बदलाव की योजना, भारतीयों पर क्या होगा इसका असर?
वॉशिंगटन। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नागरिकता के नियमों को बदलना चाहते हैं। चुनाव अभियान के दौरान भी उन्होंने ऐसा करने का वादा किया था और अब राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद वह लगातार ऐसा करने का दावा कर रहे हैं।
ट्रंप ने कहा है कि वह राष्ट्रपति कार्यभार संभालते ही जन्म से मिलने वाली नागरिकता को खत्म कर देंगे। हालांकि, ट्रंप के लिए इस नीति को खत्म करना इतना ज्यादा आसान नहीं होने वाला है, क्योंकि उनके आगे कई चुनौतियां आने वाली हैं।
राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प का मानना है कि जन्मसिद्ध अधिकार-नागरिकता “हास्यास्पद” है और 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद वे इसे समाप्त करना चाहते हैं। यह एक ऐसी गारंटी है जो 150 से अधिक वर्षों से संविधान में निहित है।
संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सीमाओं के भीतर पैदा हुए बच्चों को नागरिकता प्रदान करता है, चाहे उनके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो। हालाँकि, यह जल्द ही बदल जाएगा।
बर्थराइट सिटिजनशिप’ का मतलब है कि अमेरिका में पैदा होने वाला कोई भी शख्स अपने आप अमेरिकी नागरिक बन जाता है। ये नियम उन बच्चों पर भी लागू होता है, जिनके पैरेंट्स अवैध रूप से देश में हैं या टूरिस्ट-स्टूडेंट वीजा पर हैं। रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी लोगों की आबादी 48 लाख है, जिसमें से 16 लाख या 34% का जन्म अमेरिका में हुआ है। इनमें से जितने लोगों के माता-पिता के पास ग्रीन कार्ड या नागरिकता नहीं होगी, वे नियम खत्म होने पर नागरिकता गंवा सकते हैं।