अच्छी सोच और बेहतर प्रबंधन के साथ बनाई गई है सिंहस्थ-2028 की कार्ययोजना: केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा
सिंहस्थ 2028 के साथ ही उज्जैन का पुरातन वैभव और बढ़ेगा
सिंहस्थ कार्यों की गुणवत्ता और समय-सीमा का विशेष ध्यान रखा जाए
क्षिप्रा जल से ही होगा सिंहस्थ-2028 में स्नान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की कार्ययोजना का देखा प्रेजेटेंशन
भोपाल : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने रविवार को उज्जैन प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में सिंहस्थ-2028 की कार्ययोजना और तैयारियों संबंधी प्रेजेंटेशन देखा। केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने सिंहस्थ के लिये तैयार की गई विकास कार्ययोजना के प्रेजेंटेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि जिस सोच के साथ कार्ययोजना तैयार की गई है उसे जमीन पर उतारा गया तो उज्जैन अपनी संस्कृतिक, धार्मिक, पौराणिक विरासत को संजोने में सफल होगा। उज्जैन अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत को समेटे हुए हैं। सिंहस्थ के लिये तैयार की गई कार्ययोजना से उज्जैन का पुरातन वैभव पुनः लौटेगा और राजा विक्रमादित्य की अवंतिका का स्वरूप प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रेजेंटेशन के दौरान कपिला गौशाला और शिप्रा को प्रवाहमान बनाने की कार्ययोजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कार्ययोजना से कम से कम कीमत में क्षिप्रा को अविरल एवं स्वच्छ कर पाएंगे। सिंहस्थ 2028 में क्षिप्रा नदी में क्षिप्रा के जल से ही स्नान होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौवंश को सुरक्षित करने की कार्ययोजना के संबंध में बताया कि सभी प्रमुख शहरों में 10 हजार गौवंश को रखने के लिए गौशालाएं बनाई जा रही हैं। कम से कम खर्चे और कम से कम मानव शक्ति का प्रयोग कर इन गौशालाओं का संचालन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बार सिंहस्थ में क्षिप्रा नदी के दोनों ओर बेसाल्ट पत्थर से स्थायी घाटों का निर्माण होगा, जिससे आने वाले समय में क्षिप्रा नदी के स्वरुप को स्थायित्व मिलेगा और आगामी सिंहस्थों में अतिरिक्त घाटों के निर्माण की आवश्यकता नहीं होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि सिंहस्थ-2028 तक शिप्रा नदी को प्रवाहमान एवं अविरल करने के लिए कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना, सेवरखेडी-सिलारखेडी मध्यम परियोजना तथा कान्ह एवं क्षिप्रा नदी पर बैराज का निर्माण, बेसाल्ट से घाटों का निर्माण एवं संबद्ध कार्य किए जा रहे है। कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना का मुख्य उद्देश्य कान्ह नदी के दूषित जल को उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी में मिलने से रोकना है, जिससे कि मोक्ष दायिनी क्षिप्रा नदी का जल पवित्र बना रहे। इस परियोजना में ग्राम जमालपुर तहसील उज्जैन में कान्ह नदी पर एक बैराज का निर्माण किया जाना है, जिससे कान्ह नदी के दूषित जल को क्लोज डक्ट के माध्यम से व्यपवर्तित किया जाना है। परियोजना की कुल लम्बाई 30.15 कि.मी. है जिसमे 18.15 कि.मी. लम्बाई में कट एवं कवर द्वारा क्लोज डक्ट का निर्माण होना है तथा 12 किमी लम्बाई में टनल का निर्माण किया जाना है, इसकी कुल लागत राशि रुपये 920 करोड़ है तथा पूर्णता अवधि 36 माह है।