“जनजातीय गौरव दिवस” पर समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 15 नवंबर को होगा पुष्पांजलि कार्यक्रम
जनजातीय नायकों के पुरुषार्थ के प्रति विद्यार्थियों में गर्व का भाव होगा जागृत :उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार
समस्त विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय, जनजातीय साहित्य से होंगे समृद्ध
जबलपुर, उज्जैन एवं शहडोल के विश्वविद्यालयों में बनेंगे जनजातीय शोध एवं अध्ययन केंद्र
उच्च शिक्षा मंत्री ने जनजातीय गौरव दिवस” पर समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्यक्रमों के सम्बंध में बैठक
भोपाल : उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को मंत्रालय में “जनजातीय गौरव दिवस” के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विभिन्न कार्यकम आयोजनों की रूपरेखा तैयार करने के लिए बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
मंत्री श्री परमार ने महान जनजातीय गौरव एवं स्वाधीनता नायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को शहडोल में आयोजित होने वाले समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन का सीधा प्रसारण एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम, प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में आयोजित करने के निर्देश दिए। श्री परमार ने कहा कि जनजातियों के गौरवशाली इतिहास एवं पुरुषार्थ को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता है। श्री परमार ने कहा कि जनजातीय महापुरुषों एवं नायकों का बलिदान, इतिहास और पुरुषार्थ को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजन से विद्यार्थियों में जनजाति के गौरवशाली इतिहास, पुरुषार्थ एवं उपलब्धियों पर गर्व का भाव जागृत होगा। जनजाति के राष्ट्रीय एवं सामाजिक महत्व को समझने का अवसर मिलेगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि कार्यक्रमों का आयोजन विद्यार्थियों की सुविधा अनुरूप सुलभ रूप से आयोजित किए जाएं।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री परमार ने प्रदेश के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय एवं शहडोल स्थित पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय में जनजातीय शोध एवं अध्ययन केंद्र की स्थापना के लिए व्यापक कार्य योजना बनाकर क्रियान्वयन के भी निर्देश दिए। श्री परमार ने समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के पुस्तकालयों को जनजातीय समाज से जुड़े साहित्य से समृद्ध करने एवं भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के अंतर्गत जनजातीय नायकों की प्रदर्शनी स्थापित करने के निर्देश भी दिए।