कभी बने थे अडानी के संकटमोचक, अब 9 महीने में कर ली 17000 करोड़ रुपये की कमाई

नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों के कारण जब अडानी के शेयर धड़ाम हो गए थे। निवेशकों और शेयर धारकों का भरोसा उनपर से हिल गया था। बाजार का सेंटिमेंट अडानी के खिलाफ हो गया था। लोगों को भरोसा अडानी की कंपनियों से उठने लगा था। सड़क से लेकर संसद तक अडानी के खिलाफ हंगामे हो रहे थे, उस वक्त अमेरिका से आए एक दोस्त ने अडानी पर विश्वास जताया। उनकी मदद करने के लिए अडानी की कंपनियों में बड़ा निवेश किया। अमेरिकी फर्म जीक्यूजी पार्टनर ने उस संकट की घड़ी में अडानी की कंपनियों में बड़ा निवेश किया।

राजीव जैन ने बाजार से सेंटिमेंट के विरुद्ध जाकर अडानी के शेयरों में पैसा लगाया। इस निवेश का अडानी को भी फायदा हुआ। अडानी को मिले इस बड़े निवेश के बाद दूसरे निवेशकों का भरोसा भी लौटने लगा। जब राजीव जैन ने अडानी की कंपनियों में पहली बार निवेश किया था, उस वक्त अडानी ग्रुप की वैल्यूएशन में 79 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। राजीव जैन ने सबसे पहले अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड में 1410 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद अडानी पोर्ट, अडानी एनर्जी. अडानी ग्रीन, और अडानी पावर में निवेश किया।

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