बिहार जाति जनगणना रिपोर्ट से पीएम मोदी फंस गए

नई दिल्ली: बिहार में जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है। नीतीश कुमार के मास्टर स्ट्रोक का कितना असर होगा ये तो आने वाले वक्त में पता चल जाएगा। पर इसका असर ये है कि कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार से जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। बिहार की रिपोर्ट जारी होने के बाद इतना तो तय है कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर प्रेशर बढ़ेगा। देशभर में विपक्षी गठबंधन की गोलबंदी के अगुआ नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का सिरदर्द बढ़ा दिया है। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद ही आरजेडी चीफ लालू यादव ने कहा कि इस आबादी के हिसाब से ही नीतियां बनाने का वक्त है। यानी आने वाले वक्त में ये मुद्दा देश की सियासी फिजा में गरमी लाने वाली है।

लालू यादव की पार्टी शुरू से ये मांग करती रही है कि जिसकी जितनी आबादी है उसको उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36%) और पिछड़ा वर्ग (27%) की आबादी सबसे अधिक है। अगर इन दोनों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 63 फीसदी पहुंचता है। ऐसे में आबादी से अनुपात में आरक्षण की मांग जोर पकड़ सकती है। बिहार की तरह ही जाति आधारित जनगणना कराने की मांग राष्ट्रीय राजनीति में भी खड़ी हो सकती है। जिस तरीके से विपक्षी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं वो निश्चित रूप से केंद्र की बीजेपी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *