कश्मीरी पंडितों की 302 एकड़ जमीन कब्जामुक्त
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों की जमीनों पर कब्जे की 8 हजार शिकायतों पर कार्रवाई की है। 1990 में आतंकवाद के भय से पलायन करने वाले पंडितों की जमीनें उनके पड़ोसियों ने ही हड़प रखी थीं। 32 साल बाद ऐसी 2414 कनाल यानी 302 एकड़ जमीन कब्जामुक्त करा दी गई है। लेकिन, सरकार की परेशानी यह है कि इन जमीनों के असल मालिक कब्जा लेने नहीं आ रहे हैं।
कब्जे की सबसे ज्यादा शिकायतें अनंतनाग, कुपवाड़ा, बारामूला और बडगाम जिलों से मिली थीं। इन जिलों में पंडित बड़े जमींदार थे। कुछ ने डर के मारे संपत्ति बेच दी थी। लेकिन, कई पंडितों ने जमीनें देख-रेख के लिए पड़ोसियों को सौंपी थी। वक्त के साथ इन जमीनों पर भी कब्जे कर लिए गए थे।
सरकार ने कब्जे हटाने की मुहिम एक साल पहले शुरू की थी। इसके विरोध में आतंकी संगठनों ने पंडितों की टारगेट किलिंग शुरू कर दहशत का माहौल पैदा करने की पूरी कोशिश की, लेकिन सरकार ने कब्जे छुड़ाने की मुहिम जारी रखी।
अत्याचार के चलते घर छोड़ने को मजबूर हुए पंडित तीन दशक से कब्जे छुड़ाने की लड़ाई लड़ रहे थे। 1997 में उनकी संपत्ति के संरक्षण और सुरक्षा के लिए ‘जम्मू और कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम 1997’ भी पारित किया गया। लेकिन, यह प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो सका।