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चीन के लिए सिरदर्द बना ‘बेल्ट एंड रोड’, मौके पर चौका मारने की फिराक में अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने इन गर्मियों में दुनिया के कई क्षेत्रों की यात्रा की है। मिडिल ईस्ट से लेकर पूर्वी एशिया तक, अमेरिकियों की ये यात्राएं गरीब देशों के लिए सैकड़ों अरबों डॉलर की प्रतिबद्धता का प्रतीक थीं। इससे कहीं ज्यादा इन्हें चीन के साथ एक प्रतिस्पर्धा के तौर पर भी देखा जा रहा है। लगभग एक दशक से चीन ने अपने ‘बेल्ट एंड रोड’ प्रोजेक्ट में अरबों डालों खर्च किए हैं। अपने इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के तहत चीन पापुआ न्यू गिनी से केन्या तक हाईवे, श्रीलंका से पश्चिम अफ्रीका तक बंदरगाह और लैटिन अमेरिका से दक्षिण पूर्व एशिया तक बिजली और टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछा रहा है।

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से मुकाबला करने के लिए अब अमेरिका भी ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट में अपनी भूमिका को बढ़ाना चाहता है। जून में बाइडन और जी-7 के नेताओं ने देशों के बीच ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर की खाई को पाटने के लिए एक गेम चेंजिंग’ प्रोजेक्ट में 600 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की थी। इसमें 200 बिलियन डॉलर का निवेश अकेले अमेरिका कर रहा है। इस महीने अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी आर शर्मन ने दक्षिण प्रशांत क्षेत्र का दौरा किया और द्वीपीय देशों के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए एक नई साझेदारी को बढ़ावा दिया।

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