अमित शाह के दखल के बाद बौद्ध भिक्षु ने रोकी करगिल यात्रा

लद्दाख में 60 साल पुराने विवाद में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। मुस्लिम बहुल करगिल में बौद्ध मठ निर्माण को लेकर लेह और करगिल के लोग आमने-सामने आ गए। लेह के बौद्ध भिक्षु रिनपोछे इस महीने की शुरुआत में करीब 1000 लोगों के साथ करगिल की पदयात्रा पर निकले। गृहमंत्री अमित शाह की अपील के बाद रिनपोछे ने यात्रा तो रोक दी।

दरअसल, 1961 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने करगिल में बौद्धों को जमीन दी थी। लेह की बौद्ध आबादी का एक वर्ग वहां मठ बनाना चाहता है।

दूसरी ओर, करगिल के धार्मिक, सामाजिक, छात्र और राजनीतिक संगठनों ने करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के खिलाफ खड़ा हो गया। संघर्ष की आशंका के चलते प्रशासन ने बीते सोमवार रिनपोछे को करगिल से 35 किमी पहले मुलबेक में रोक दिया।

अमित शाह ने की शांति से मामला हल करने की अपील

लेह के एक भाजपा नेता ने बताया, इसकी जानकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दी गई। इसके बाद शाह ने रिनपोछे को इस मामले को शांति और सौहार्द से हल करने का संदेश दिया।

शाह की अपील के बाद रिनपोछे ने यात्रा तो रोक दी लेकिन लेह लौटने से पहले मुलबेक में धार्मिक अनुष्ठान किया। बौद्ध बहुमत वाले लेह की भी सभी पार्टियां इस मार्च के समर्थन में नहीं थीं। लेह बौद्ध संघ के (एलबीए) के कुछ नेता इस पर आपत्ति जता चुके थे। दरअसल, एलबीए और केडीए ने पिछले महीने राज्य के दर्जे, छठी अनुसूची जैसी स्थिति, दो लोकसभा, एक राज्यसभा सीट और रोजगार के मुद्दे पर आंदोलन के लिए हाथ मिलाया था।

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