बिहार में बवाल का ‘अग्निपथ’,आखिर नीतीश कुमार चुप क्यों?
आर्मी अभ्यर्थियों के बवाल अब तक नीतीश कुमार चुप हैं। जबकि देश की दूसरी बीजेपी शासित राज्यों ने कई घोषणाएं कीं हैं। सेना की नई भर्ती स्कीम ‘अग्निपथ’ (Agnipath Scheme) का बिहार में विरोध शुरू हो गया है। बक्सर, आरा, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, नवादा, छपरा, सिवान और बेगूसराय समेत कई जिलों में भारी बवाल हुआ है। अग्निवीरों के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा करने के अगले ही दिन यानी बुधवार को जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे। गुरुवार को दूसरे दिन भी हंगामा हुआ। अभ्यर्थियों का कहना है कि तीन से चार साल तक वे परीक्षा की तैयारी करते हैं और फिर चार साल के लिए नौकरी होगी तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है।
बिहार में सबसे ज्यादा बवाल क्यों?
अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर बनने से पहले ही अभ्यर्थी गुस्से में हैं। बिहार में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। लगातार दूसरे दिन नौजवान सड़कों पर हैं। बक्सर से शुरू हुआ बवाल नवादा और छपरा तक पहुंच चुका है। जहानाबाद और सीवान में भारी हंगामा हुआ है। दरअसल 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी। किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन। ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई। पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी। मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे। नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी। इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा। 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे। उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का ख्वाब सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख नौजवान सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर गए।
बिहार सरकार ने क्यों साधी चुप्पी?
सेना में भर्ती के नए नियम पर बिहार में बवाल मचा हुआ है। दर्जनभर जिलों में लगातार दूसरे दिन जबर्दस्त विरोध देखने को मिला। आर्मी अभ्यर्थियों के विरोध को देखते हुए कई बीजेपी शासित राज्यों ने लुभावने घोषणाएं की। राज्य की नौकरियों में वरीयता देने की बात कही। ताकि छात्रों के गुस्से को थामा जा सके। बिहार में सत्ता की साझीदार बीजेपी है मगर बागडोर जेडीयू के नीतीश कुमार के पास है। चूंकि केंद्र की बीजेपी सरकार ने नियमों में बदलाव किया तो जाहिर-सी बात है, नौजवानों में गुस्सा भी बीजेपी के खिलाफ है। इस बाबत न तो बिहार बीजेपी का कोई बड़ा नेता बयान दिया है और ना ही सरकार की ओर से युवाओं के लिए कोई घोषणाएं की गई है। आर्मी अभ्यर्थियों को लग रहा है कि उनके साथ मौजूदा सरकार धोखा कर रही है, लिहाजा वो अपने गुस्से का इजहार सरकारी संपत्तियों पर उतार रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा निशाने पर रेलवे है।