अनुच्छेद 142 जिसका सुप्रीम कोर्ट ने किया इस्तेमाल
देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court of India) ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी ए.जी. पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दे दिया। राजीव की हत्याकांड में शामिल पेरारिवलन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और वह 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।’ आइए जानते हैं कि आखिर संविधान का अनुच्छेद 142 क्या है और इसमें क्या कहा गया है…
अनुच्छेद 142 से सुप्रीम कोर्ट को मिलते हैं कौन से विशेषाधिकार
अनुच्छेद 142 भारतीय संविधान के भाग 5 (संघ) के अध्याय 4 (संघ की न्यायपालिका) के अंतर्गत आता है। संविधान का यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है। इस अनुच्छेद दो भागों में बंटा है- अनुच्छेद 142(1) में सुप्रीम कोर्ट को यह विशेषाधिकार दिया गया है कि उसके सामने आए किसी मामले में फैसला देते वक्त लगे कि मौजूदा कानून और कानूनी प्रक्रिया के तहत वह पूर्ण न्याय नहीं कर सकता है तो स्थापित विधि से हटकर भी आदेश पारित कर सकता है। अनुच्छेद 142(1) साफ कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का वह अलग तरह का आदेश तब तक पूरे देश में संसद से पारित कानून की तरह ही लागू रहेगा जब तक कि इस संबंध में सरकार या संसद विशेष उपबंध नहीं कर दे।